ओशो का पूरा नाम रजनीश ओशो था और इन्हें भगवान श्री रजनीश भी कहा जाता था
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कहा जाता है कि इन्होंने अपनी जिंदगी का तकरीबन 25% हिस्सा घूमने में ही गुजारा।
ओशो कहते थे कि उनके ज्ञान को पाने के हकदार वह सभी लोग हैं जो मनुष्य योनि में पैदा हुए हैं।
संपूर्ण भारत को घूम लेने के बाद साल 1970 में ओशो मुंबई में निवास करने के लिए आ गए,
ओशो के द्वारा अमेरिका के ओरेगन शहर में भी रजनीशपुरम की स्थापना की गई।
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साल 1988 में 26 दिसंबर के दिन रजनीश ओशो के द्वारा अपने नाम के आगे से भगवान शब्द को हटाया गया
लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे रजनीश ओशो ने इस धरती पर साल 1990 में 19 जनवरी के दिन आखरी सांस ली
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